आदम, तुम कहाँ हो?
परमेश्वर के व्यक्तित्व के बारे में बाइबिल और कुरान में बुनियादी फर्क क्या है?
बाइबिल का परमेश्वर "क़रीब आता है", "नीचे आता है" और चाहता है कि हमारे साथ एक अंतरंग संबंध में प्रवेश हो| पूरी बाइबल में परमेश्वर के इन्सान की तलाशी की कहानी है|
बाइबल का पेहला अध्याय में हम यह पढ़ते हैं कि पेहली पाप के बाद आदम और हव्वा अपने विवेक से ग्रस्त हो कर परमेश्वर से छिपने की कोशिश करते हैं| परमेश्वर बगीचे में उनके पास आता है और उन्हें पुकार कर कहता है,"तुम कहाँ हो?" (उत्पत्ति 3:9)|
आदमी परमेश्वर के सामने से भाग रहा है, क्योंकि वह जानता है कि वह परमेश्वर के सामने दोषी है| लेकिन, परमेश्वर आता है और हमारे साथ आपसी प्यार का रिश्ता क़ायम करना चाहता है| उस केलिये परमेश्वर सभी आवश्यक कदम संभव बना लेता है| बाइबिल के पेहली किताब से आखरी किताब तक यही कहानी है और आखरी किताब में नया आकाश और नई पृथ्वी के बारे में यह पढ़ते हैं कि : "परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है| वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्वर होगा." (प्रकाशितवाक्य 21:3)|
परमेश्वर की इच्छा अंत में स्थापित की गयी है| प्रकाशितवाक्य का 21वा अध्याय पूरा पढ़िये, यह एक शानदार अध्याय है|
वास्तव में परमेश्वर एक ऐसा प्रमेश्वर है जो हमारा पीछा करना चाहता है,और नीचे हमारे पास आता है| वह अपने व्यक्तित्व,दिल और इच्छा को प्रकट करता है क्योंकि अपनी सृष्टि के साथ एक प्रेम संबंध स्थापित करना चलता है| क्या तुम प्रकाशितवाक्य 21:3 में वर्णित उनके लोगों में हिस्सा होगे? यही बाइबल का मुख्य विषय है, यह तुम्हारेलिये परमेश्वर को प्रकट करता है ताकि तुम उस की बुलाहट को स्वीकार करके उसके लोगों का हिस्सा बन जाओ|
इसके विपरीत, क़ुरआन में एक ऐसा परमेश्वर का चित्रण है जो "बहुत दूर" है, और सिर्फ़ "उत्कृष्ट" कहलाता है. एक मुस्लिम फ़क़ीह ने कहा है कि-"परमेश्वर केवल अपनी इच्छा को प्रकत करता है, पर ख़ुद को नहीं| वह हमेशा केलिए छिपा रहता है"|
हालांकि वह क़ुरआन के अनुसार इन्सान के कंठ नस से भी उस के क़रीब है, लेकिन यह एक "तकनीकी निकटता" है, क्योंकि कंठ नस के बारे में तो हम सब जानते हैं लेकिन उस के बारे में हर वक़्त हर पल नहीं सोचते हैं, और उस से हमें एक निजी रिश्ता नहीं है| इस का मतलब तो सिर्फ़ इतना है कि परमेश्वर हर जगह (दूर और क़रीब)है, जैसे हवा भी है जो हमारे इर्दगिर्द है, लेकिन बाइबिल में परमेश्वर यह नहीं चाहता है कि वे केवल अपनी विश्वव्याप्ति और सर्वज्ञता के आधार पर हमारे साथ रहे, क्योंकि परमेश्वर होने के नाते वोह विश्वव्याप्त तो है और उस तरह हमारे साथ तो हमेशा है ही|
नहीं, वह हमारे साथ वैसा रहना चाहता है जिस से हम बहुत प्यार करते हैं|
इस्लाम में तो उस की इच्छा का पालन करके परमेश्वर की कृपा पाने में इन्सान की कोशिश देखते है| बाइबल में तो सच्चा परमेश्वर ख़ुद अपना पहला क़दम लेकर इन्सान को बचाने केलिये नीचे आने के बारे में पाते हैं| यहाँ प्रस्थान विपरीत दिशा में है|
ख़ुदा कौन है ?