हम बाइबल पर क्यों विश्वास करते हैं?
बाइबल अब तक की लिखी गयीं किताबों में से सब से बेहतरीन किताब है| यह हमें इस पृथ्वी पर जीने केलिये मदद करेगी, और इस से बढ़कर परमेश्वर के पास स्वर्ग में ज़रूर ले जाने की वादा और मदद करेगी| यह किताब सरल है पर बहुत उत्कृष्ट और प्रभावशाली है| यह किताब तो परमेश्वर का वचन होने का पक्का दावा करती है| इस किताब में 400 से अधिक बार हम यह पढ़ते हैं कि -"यहोवा योंकहता है", जिस से साबित होता है कि यह किताब परमेश्वर यहोवा की वाणी है| अपने बारे में यह किताब कहती है कि उसके सभी हिस्सों में परमेश्वर की प्रेरेणा है|
2 तीमुथियुस 3:16 "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।"
2 पतरस 1:21 "क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।"
इस तरह बाइबल जो परमेश्वर का वचन है, मनुष्यों की इच्छा से नहीं, किन्तु परमेश्वर के पवित्र अत्मा के द्वारा लिखी गयी है|
प्रेरणा का स्वरूप
बाइबल एक प्रेरित किताब है| इस का अर्थ यह है कि इसका लेखक और कर्ता स्वयं परमेश्वर ही है| परमेश्वर ने पवित्र आत्मा के रूप में मनुष्यों को ऐसा प्रेरित किया कि वे जब उसे लिखते थे तो परमेश्वर के अधिकार से लिखे और उस में कोई भी गलतियाँ नहीं थीं| इस तरह बाइबल की उत्पत्ति में परमेश्वर की प्रेरणा रहने से वह दुनिया की इक्लौती प्रेरित किताब बनी है जो सब से विश्वसनीय किताब है|
यह प्रेरणा कम से कम 1600 सालों के दीर्घ काल में होती आयी है, जो बाइबल की उत्पत्ति की किताब से प्रकाशितवाक्य की किताब तक हम पाते हैं| यहोवा परमेश्वर ने भी इन्सानों के ज़रिये अपने वचन को सुरक्षित किया था, जिन्हों ने हर समय में उन के प्रतिलिपि लिखते और उन के अनुवाद भी करते आये, जिस की वजह से अब तक इतने हज़ार सालों तक उसकी किताब सुरक्षित रही है|
प्रेरणा का प्रमाण
धर्मनिरपेक्ष लोग जो इस दुनिया में हैं, बाइबल की प्रेरणा को इन्कार करते हैं और उसे सिर्फ़ इन्सानों की बनावट सोचते हैं| लेकिन वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं जिस की वजह से वैसी बेईमानी दिखाते हैं| हम बाइबल की पूर्ण मौखिक प्रेरणा (प्लीनरी वर्बल इन्स्पिरेशन) पर विश्वास करते हैं| इस का अर्थ यह है कि पूरी बाइबल परमेश्वर से प्रेरित है| मौखिक प्रेरणा का अर्थ यह है कि बाइबल का हर लफ़्ज़ या शब्द परमेश्वर से प्रेरित है| परमेश्वर ने यिर्मयाह नबी से कहा -
यिर्मयाह 1:9 " देख, मैं ने अपने वचन तेरे मुँह में डाल दिये हैं।"
यहोवा परमेश्वर का रसूल पौलुस ने कहा-
1कुरिन्थियों 14:37 "जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूँ, वे प्रभु की आज्ञाएँ हैं।"
बाइबल में पूर्ण मौखिक प्रेरणा होने का अर्थ यह नहीं है कि वह एक यांत्रिक हुक्मनामा (मेखानिकल डिक्टेशन) है, क्योंकि हर लेखक की शैली विशिष्ट और अलग अलग है| परमेश्वर ने इन्सानों की शब्दावली (वकाब्युलरी) को इस्तेमाल करके अपने सत्य को बयान किया| बाइबल के इन ही शब्दों के ज़रिये परमेश्वर अपनी मर्ज़ी बयान करता है और इन ही शब्दों के ज़रिये इन्सान भी अपनी ज़िन्दगी का उद्देश्य जान सकता है|
परमेश्वर ने इस तरह अपनी विशेष सच्चाइयों को प्रकट किया जिसे उसके चुने हुये लोगों ने प्रमाणित करके दर्ज किये|
इस तरह बाइबल की प्रेरणा के प्रत्यक्ष दावे के साथ साथ, उस के लेखकों ने उन से पेहले जो लेखक थे उनके लेखनों को भी पूर्ण और प्रामाणित मानते थे| इसीलिये जब बाइबल के एक हिस्से को उठाकर दूसरी जगह मे लिखते थे तो यह परिचय भी देते थे कि -
दानिय्येल 9:13 "जैसे मूसा की व्यवस्या में लिखा है,"
मत्ती 2:5 "क्योंकि भविष्यद्वक्ता के द्वारा योंलिखा है|"
मत्ती 4:4 "यीशु ने उत्तर दिया : लिखा है कि....."
प्रेरितों 7:42 "सो परमेश्वर ने मुंह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया, कि आकशगण को पूजें, जैसा भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखा है,"
यूहन्ना 17:12 "जब मैं उन के साथ था, तो मैं ने तेरे उस नाम से, जो तू ने मुझे दिया है उनकी रक्षा की| मैं ने उनकी चौकसी की, और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से काई नाश न हुआ, इसलिये कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो।
यूहन्ना 19:24 "यह इसलिथे हुआ, कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो"
यूहन्ना 19:28 "इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका, इसलिये कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूँ।"
यहोवा खुदा के रसूल पतरस ने पौलुस रसूल के हाथ से लिखी गयीं लेखनों को पवित्र शास्त्र का दर्जा दिया है|
2 पतरस 3:15 "और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस ने भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।"
2 पतरस 3:16 "वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है, जिन में कुछ बातें ऐसी हैं जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्रशास्त्र की और बातों की तरह खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।"
प्रेरणा का महत्व
हमारे प्रभु यीशु मसीह ने पुराने नियम से बहुत बातों को स्वतंत्र रूप से उद्धृत (कोट) किये थे, जिस से बाइबल के पुराने नियम को बरकरार किये। उदाहरण केलिये-
यूहन्ना 5:39 "तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है।"
यूहन्ना 5:46 "क्योंकि यदि तुम मूसा का विश्वास करते, तो मेरा भी विश्वास करते, इसलिये कि उसने मेरे विषय में लिखा है।"
प्रभु यीशु मसीह ने अपनी बातों को भी परम सच होने की गवाही दी-
यूहन्ना 8:31 "तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था, कहा, "यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे।"
यूहन्ना 8:32 "तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।"
और एक जगह में उन्हों ने कहा-
यूहन्ना 14:6 "यीशु ने उससे कहा,"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।"
उन्हों ने यह भी बताया कि उनके इस दुनिया से जाने के बाद सत्य का आत्मा उनके चेलों को सत्य का मार्ग बतायेगा-
यूहन्ना 14:17 "अर्यात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है; तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।"
यूहन्ना 16:13 "परन्तु जब वह अर्यात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।"
उन्हों ने यह भी कहा है कि-
लूका 24:44 "फिर उस ने उनसे कहा, ये मेरी वे बातें हैं, जो मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही यीं कि अवश्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों।"
इन लेखनों को समझने केलिये उन्हों ने उन की समझ खोल दी-
लूका 24:45 "तब उसने पवित्रशास्त्र बूझने के लिये उन की समझ खोल दी।"
इस तरह हमारे प्रभु स्वयम अपने चेलों को पवित्रशास्त्र बाइबल की सच्चाइयों को समझाये।"
प्रभु ने गवाही दिया कि परमेश्वर के वचन या आज्ञाओं को घोषित करना ही उनकी सेवकाई है। उन्हों ने यह भी कहा कि परमेश्वर की आज्ञा अनन्त जीवन है।
यूहन्ना 12:50 "और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है। इसलिये मैं जो कुछ बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूँ।"
प्रभु ने इस तरह पाप में गिरी हुई दुनिया में यहोवा परमेश्वर की सच्चाइयों को और उनके प्रेम को बयान किया और अपनी मौत पर विश्वास करने केलिये बुलाया जो हम सभी केलिये पर्याप्त प्रायश्चित्त है।
हम ने देखा कि पवित्र बाइबल एक प्रेरित किताब है, जो कु़रआन की तरह कोई बेनाम अल्लाह की तरफ़ से नहीं आयी, किन्तु यहोवा परमेश्वर की तरफ़ से आयी है जो अब्राहम, इसहाक और याक़ूब का सच्चा परमेश्वर है। यह किताब उस प्रेमी परमेश्वर से प्रेरित है जिस से हम क़ुरआन के विपरीत इस में सभी लोगों केलिये परमेश्वर का प्यार देखते हैं। यह किताब तो संपूर्ण प्रेरित किताब है जो कु़रआन के विपरीत परमेश्वर यहोवा से सीधा उनके प्रेरितों के दिल ओ दिमागों मे उतरी है, बगैर कोई फ़रिश्ते या स्वर्ग्दूत के माध्यम से; क्योंकि शैता़न आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण कर सकता है: क्योंकि लिखा है कि-
2कुरिन्थियों 11:14 "और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।"
2कुरिन्थियों 11:15 "इसलिये यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कोई बड़ी बात नहीं, परन्तु उनका अन्त उनके कामों के अनुसार होगा।"
अगर आप एक मुस्लिम हैं तो हम आप से यह चाहते हैं कि आप अपने दिल के पूरे डर को हटाकर बाइबल पढ़ें. आप यहोवा परमेश्वर की हक़ीक़ी मुहब्बत को जानेंगे और उनके रूहानी बेटे प्रभु यीशु मसीह में हमेशा की ज़िन्दगी पायेंगे। ख़ुदा ता़ला इस अज़ीम पोशीदा बरकत को आप पर भी अ़ता फ़रमाये।
आमीन।