क्या यीशु मसीह ने कहा है कि मैं खु़दा हूँ, या मेरी आराधना करो ?
सवाल:-
आज दुनिया में मसीही लोग यीशु मसीह को पूजते हैं, लेकिन आप मुझे बाइबल में यह दिखासकते हैं क्या जहाँ यीशु मसीह ने कहा हो कि मैं खु़दा हूँ, या मेरी आराधना करो ?
जवाब:-
इन ही शब्दों में यह सवाल मैं बहुत बार सुनचुका हूँ | मेरे जवाब में शायद आप को इस विषय को समझने की मदद मिलेगी |
यीशु ने कहीं भी ऐसा नहीं कहा है कि "मैं ख़ुदा हूँ" या "मेरी आराधना करो"|
अगर कोई आदमी आप के पास आकर यह कहे कि "मैं ख़ुदा हूँ, मेरी आराधना करो" तो क्या आप -
1) उस पर विश्वास करने केलिये तैयार हैं?
2) उसकी आराधना करने केलिये तैयार हैं?
कोई भी एकेश्वरवादी इस बात को सुनने के बाद इस तरह का दावा करनेवाले इन्सान को एक ईश्वरनिन्दा करनेवाला या कुफ़्र बकनेवाला कहेगा|
अगर तुम्हारी भी यही प्रतिक्रिया है तो तुम प्रभु यीशु मसीह से वह बात क्यों पूछ रहे हो जो तुम खुद मानने के लिये तैयार नहीं हो| इस तरह का दावा करनेवाले लोगों को आम तौर पर उन्माद या पागल माना जाता है| यीशु मसीह को इन्सानों का यह प्रतिक्रिया मालूम है और इसी वजह से उस नादान या बेवक़ूफ़ तरीके से अपने दावे को पेश नहीं किया| लेकिन अप्रत्यक्ष या परोक्षार्थ से अपने दावे को ज़रूर पेश किया है|
यीशु मसीह ने अपने देवत्व का सबूत बाइबल में ज़रूर दिया है| अगर ऐसे सबूत बाइबल में हैं तो आप को उन सबूतों को मानना ही पड़ेगा और उनकी आराधना करनी ही पड़ेगी| परमेश्वर को स्वीकार करने से पेहले उसे हम यह हुकुम तो नहीं दे सकते कि किस रीति वह अपने आपको प्रकट करे|
उदाहरण केलिए यूहन्ना की इंजील में (अनन्त जीवन के बारे में बात करते हुए) यीशु मसीह ने कहा है कि- "पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा"| अनन्त जीवन भी उन पर विश्वास करने से ही मिलने का शर्त पर आधारित है| खु़दा के सिवा और कोई ऐसा कहे तो वह ज़रूर ईश्वरनिंदा होजायेगा| इस तरह का दावा तो अलौकिक और अनोखा है| और उसे करने का अधिकार मसीह के पास होने का सबूत क्या है? इस दावा करने के वक़्त उसी दिन मसीह ने जो किया उसे हम वहीं पढ़ सकते हैं-
यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, "हे लाज़र, निकल आ!" जो मर गया था वह कफ़न से हाथ पाँव बँधे हुए निकल आया, और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था| यीशु ने उनसे कहा, "उसे खोल दो और जाने दो"| (यूहन्ना11:43-44).
अगर सारी इंजीलों को याने सुसमाचारोंको आप पढेंगे तो उस में हमेशा यह पाते हैं कि-
*यीशु परमेश्वर की तरह बात करते हैं
*यीशु परमेश्वर की तरह काम करते हैं
*इस दावा करने का अधिकार का सबूत भी असाधारण और अद्भुत कामों को करने के ज़रिये देते हैं|
तीन साल उन के पास रहने के बाद भी एक शागिर्द ने उन से यह पूछा कि -
"पिता को हमें दिखा दे"
तो प्रभु ने जवाब में यह कहा है कि-
"हे फ़िलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ,और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है वह पिता को देखा है|..... मेरा विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्वास करो| (यूहन्ना 14:9-11)
यीशु मसीह तो उनके चेलों से और उन लोगों से जो उनके इर्द-गिर्द थे यह चाहते थे कि वे उनकी बातों से जो ख़ुदा ही केहसक्ता है और उनकी कामों के ज़रिये उन को पेहचानकर उनके देवत्व को जानें| यीशु मसीह तो बहुत सारे सबूत देकर उन के बारे में फ़ैसला करने का स्वातंत्र्य तो इन्सानों को देते हैं| ख़ुदा होने का दावा कोई भी करसक्ता है |और इतिहास पढ़ेंगे तो हम देखते हैं कि बहुत सारे लोग अब तक ख़ुदा होने का दावा करचुके हैं| लेकिन सच्चा परमेशर ही उस दावे के सच्चे सबूत दे सकता है| और अगर सबूत मिलगये तो आराधना करने के बारे में आज्ञा देने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती है | ख़ाली "मैं ख़ुदा हूँ" कहने से क्या फ़ायदा है? सिर्फ़ ऐसा कहने से कोई बेवक़ूफ़ भी विश्वास नहीं करेगा क्योंकि कहना चाहे तो कोई भी ऐसा कह सक्ता है| लेकिन जब उसने सबूत देचुका है तो ऐसी दावा फिर से करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती| जो सच्चाई को स्वीकारते हैं वे सबूत को पेहचानते हैं, मगर जो सच्चाई को नज़र अंदाज़ करते हैं या उपेक्षा करते हैं बावजूद उस दावा करने के, विश्वास नहीं करते| अगर आप प्रभु की हक़ीक़ी पहचान को जान चुके हैं तो उन केलिये आराधन अपने आप आपके दिलों में से निकल आयेगी|
मैं जानता हूँ कि यह तो एक अद्भुत विषय है, और विश्वास करने केलिये बहुत कठिन है| इसीलिये प्रभु के चेलों को भी इस विषय को समझने केलिये बहुत वक़्त लगा है| प्रभु के मरण, पुनरुत्थान के बाद उन से मिलने पर ही इस विषय की पूरी जानकारी वे समझने लगे| यूहन्ना की इंजील 20वा अध्याय के अंत में और मत्ती की इंजील 28वा अध्याय के अंत में हम देखते हैं कि प्रभु आराधना को स्वीकारते हैं और उसे प्रमाणित करते हैं| प्रभु तो आराधना की माँग नहीं करते हैं पर उसे स्वीकारते हैं और स्थापित करते हैं| अगर आप अपने आँखों को खोलकर देखेंगे तो ज़रूर आप प्रभु को जानने लगेंगे| परमेश्वर आप की रूहानी आंखे खोले और उनको जानने की रहमत आप पर अ़ता़ फ़रमाये|
आमीन|