परमेश्वर का नाम क्या है?

बहुत सारे बार मुसल्मान लोग मसीहों के पास आकर यह कहते हैं कि जिस ख़ुदा की उपासना तुम करते हो, उसी ख़ुदा की उपासना हम भी करते हैं, यानी हम दोनों का ख़ुदा एक ही है । इस बात को सुनने के बाद बहुत सारे मसीही लोग उसे टालदेते हैं । लेकिन कुछमसीही लोग जो इस विषय के बारे में अज्ञान हैं उसे सच मानकर बैठते हैं । इसीलीए हमें इस बात को जानना बेहद ज़रूरी है । तो आइये हम इस बात को पुरी तरह से जाँचेंगे।


अल्लाह शब्द का अर्थ क्या है ?
अल्लाह शब्द अरबी भाषा का है, और अरबी भाषा में उसका अर्थ है "निर्दिष्ट ख़ुदा"। अल्लाह शब्द अरबी भाषा में "अल" और "इलाह" शब्दों को जोड़ने से पैदा होता है। "अल" का अर्थ है -"ख़ास या निर्दिष्ट" और "इलाह" का अर्थ है -"परमेश्वर" या "ख़ुदा"। इसे आमतौर पर मुसल्मान लोग उन के ख़ुदा के लिए प्रयोग करते हैं। अल्लाह कोई एक नाम नहीं है। कुरआन में कहीं भी परमेश्वर अपना नाम "अल्लाह" नहीं बताया है। इसीलिए मुसल्मान  भी "अल्लाह हाफ़िज़" के बजाये "ख़ुदा हाफ़िज़" प्रयोग करते रहेना हम हर रोज़ देखते हैं। याने वे लोग अल्लाह शब्द को भी अरबी से उर्दू में अनुवाद करके ख़ुदा बोलते हैं। और ऐसा बोलना उनके हिसाब से ग़लत नहीं है। इस से हमें साफ़ - साफ़  पता चल रहा है कि "अल्लाह" शब्द एक नाम नहीं है, क्यों कि एक नाम को कोई भी दूसरे शब्दों में अनुवाद नहीं कर सकता । और कुरआन या बाइबल में हम ऐसा कहीं नहीं देखते हैं कि ख़ुदा ने यह कहा हो कि "मेरा नाम अल्लाह है"। और भी हैरत की बात यह है कि अगर हम कुरआन के पुराने अनुवादों को पढ़ते हैं तो उन में पाते हैं कि बहुत सारे अनुवादकों ने "अल्लाह" शब्द को भी "ख़ुदा" या " गाढ" (अंग्रेज़ी) के शब्दों से अनुवाद करचुके हैं। इस से भी हमें पता चलता है कि "अल्लाह" शब्द एक नाम या "व्यक्तिवाचक संज्ञा" नहीं है, उस का अर्थ तो सिर्फ़ "ख़ुदा" है। लेकिन इस बात से आज मुसल्मान लोग सावधान होगये हैं कि उन को परमेश्वर या ख़ुदा का नाम तक पता नहीं है। इस कारण से "अल्लाह" शब्द को ख़ुदा का नाम बता रहें हैं। पर सच यह है कि अल्लाह या ख़ुदा ने कभी भी, यह नहीं कहा है कि -"मेरा नाम अल्लाह है"। तो ख़ुदा का असली नाम क्या है? क्या ख़ुदा ने कभी अपना व्यक्तिगत या निजी नाम बताया है? जी हाँ बाइबल में बताया है। आइये हम देखेंगे।


ख़ुदा का नाम यहोवा है।
बाइबल में परमेश्वर अपना व्यक्तिगत या निजी नाम बयान किया है। मूसा नबी ने ख़ुदा से अपना नाम पूछा -
निर्गमन 3:13 - मूसा ने परमेश्वर से कहा,"जब मैं इस्राएलियों के पास जाकर उनसे कहूँ, ‘तुमहारे पितरों के परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है’, तब यदि वे मुझ से पुछें, उसका कया नाम है? तब मैं उनको कया बताऊँ"? 
तब परमेश्वर ने पेहले अपने अस्तित्व या वजूद बताया -
निर्गमन 3:14 - परमेश्वर ने मूसा से कहा,"मैं जो हूँ सो हूँ"।
हमेशा जीवित रहना परमेश्वर का वजूद या पहिचान या अस्तित्व है। उसके बाद परमेश्वर ने मूसा को अपना नाम बताया -
निर्गमन 3:15 फिर परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा "तू इस्राएलियों से यह कहना, तुमहारे पितरों के परमेश्वर, अर्थात अब्राहम का परमेश्वर,इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर "यहोवा", उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है। देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेग, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा"।
परमेश्वर ने अपना नाम और भी बहुत बार बयान किया है ।
यशयाह 42:8 " मैं यहोवा हूँ, मेरा नाम यही है ",
यशयाह 48:2 " इस्राएल के परमेश्वर... जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है..."
निर्गमन 6:2 "परमेश्वर ने मूसा से कहा, " मैं यहवा हूँ "
निर्गमन 20:2 " मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ "
तो हमें साफ़ - साफ़ पता चलरहा है कि परमेश्वर ने स्वयं अपने मुँह से यह स्वीकार किया है और बयान भी किया है कि अपना नाम "यहोवा" है। यह नाम "यहोवा" अत्यंत पवित्र मना जाता है। इस का अर्थ अब कोई नहीं जानता। इस नाम का उच्छारण करने से भी लोग ड़रते थे। इन वजहों के कारण - अंग्रेज़ी बाइबल में बहुत बार इस शब्द की जगह में - "लार्ड़" शब्द प्रयोग किया गाया है, लेकिन "लार्ड़" उसका अर्थ नहीं है, बल्कि उसका प्रतिस्थापन या तबदील है ।

 
सवाल :-
१) आप मुसल्मानों से पूछिये कि अल्लाह ने कुरआन में कहाँ कहा है कि "मेरा नाम अल्लाह है"? बल्कि यहोवा ख़ुदा ने कहा है कि "मेरा नाम यहोवा है"।
मुसल्मानों को अपने ख़ुदा का नाम तक नहीं पता है। यह तो बहुत बडे़ अफ़सोस की बात है।
ऐसे लोगों के बारे में हमारे प्रभु ने कुछ इस प्रकार कहा है -
यूहन्ना 4:22 "तुम जिसे नहीं जानते उसकी आराधना करते हो; और हम जिसे जानते हैं उस की आराधना करते हैं; कयोंकि  उद्धार यहूदियों में से है"।
 
यह बात तो प्रभु यीशु मसीह ने एक सामरी स्त्री से कहा था जो आधी इस्त्राएली थी। लेकिन मुसल्मान तो बिलकुल इस्त्राएली नहीं हैं, तो उन से प्रभु और कितना कठिन बोलेंगे ?
मुसल्मानों को परमेश्वर के नाम से परिचित कराइये। सच्चे परमेश्वर को जानने केलिए ख़ुदा उन की आत्मिक आँखें खोलें, यही प्रार्थना उन केलिए प्रभु से करते रहना।
 
हम कितने मुबारक या धन्य हैं कि हम सच्चे परमेश्वर को जानते हैं। 
हल्लिलूयाह,
आमीन।


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